खुद पर हो भरोसा तो मिलेगी सफलता

 

क्या विश्वास में अद्भुत शक्ति निहित होती है। यदि आपको खुद पर भरोसा है, तो आप अवश्य सफल होंगे।

 यदि आपको सफल होने में संदेह नहीं है तो आपकी सफलता आशंका के घेरे में आ जायेगी। विश्वास की यह शक्ति कैसे काम करती है और स्वयं पर भरोसा कैसे विकसित किया जाये, आइये जानें...
एक ओलम्पिक विजेता पोलवॉल्टर से पूछा गया कि तुम कैसे बांस के सहारे इतनी ऊंची छलांग लगा पाते हों. उसने जवाब दिया मैं सबसे पहले अपनी आत्मा को पोल वॉल्ट के पार कूदा देता हूं, फिर मेरा शरीर अपने आप उसके पीछे-पीछे कूद जाता है. उस खिलाड़ी को यह विश्वास था कि वह ऐसा कर लेगा, इस लिए वह ऐसा करने में सक्षम हो पाता था।
विश्वास  मैं कर सकता हूं की आवधारणा पर आधारित होता है, जब आप विश्वास  करते हैं और सोचते हैं कि आप कर सकते हैं तो आप एक तरह की अपूर्व सकारात्मक ऊर्जा से भर उठते हैं तथा आप में अंत:प्रेरणा, वचनबध्दता, आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय और एकाग्रता जैसे मनोभावों का नवसंचार होता है. दूसरी तरफ, यदि आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते तो आपमें नकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और आप भ्रम, भय, हतोत्साहन, बेचैनी जैसे नकारात्मक मनोभावों के शिकंजे में फंस जायेंगे।
हमारा मस्तिष्क लक्ष्य हासिल करने की चाह रखने वाला अंग है, इसमें सकारात्मक लक्ष्य हासिल की चाह रखने वाला अंग है। इसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के विश्वास को वास्तविकता में बदलने की अपूर्व शक्ति विद्यमान होती है, हमारा मस्तिष्क जिसे स्वीकार करता है वह निश्चित रूप से घटित होता है, इसलिए हम ठीक वैसा ही परिणाम प्राप्त करते हैं जैसा कि हम चाहते हैं, यदि आप विश्वास करते हैं कि आप सफल नहीं होगे तो सच मानिए कि आपको असफलता ही हाथ लगेगी। अत: यदि सफल होना है तो अपने मस्तिष्क में सकारात्मक अभिलाषा बनाये रखना तथा स्वयं की क्षमताओं पर विश्वास करना आवश्यक है।
अविश्वास विश्वास  एक नकारात्मक शक्ति है। यदि हमारा मस्तिष्क अविश्वास या संदेह करता है तो वह वैसे कारणों को आकर्षित करेगा, जिनसे अविश्वास  को समर्थन मिल सके, यदि आपको अपनी सफलता पर अविश्वास  है तो आपका मस्तिष्क आपके अविश्वास  को मजबूत करने के लिए कार्य करेगा और आप निश्चित रूप से असफल होंगे, किकबॉक्सिंग चैंपियन टिम कहते हैं यादातर लोग इस लिए असफल नहीं होते हैं कि उनके पास अपने लक्ष्य तक पहुंचने की प्रतिभा या कुशलता की कमी होती है, बल्कि इस लिए असफल होते हैं, क्योंकि वे विश्वास  नहीं कर पाते कि वे वहां तक पहुंच सकते हैं।
आप किसी भी जानवर को एक तालाब में डाल दीजिए, वह तैर कर निकल जायेगा। इसके विपरीत आप किसी ऐसे व्यक्ति को तालाब में डाल दीजिए जो तैरना नहीं जानता तो वह डूब जायेगा, ऐसा क्यों? ऐसा इस लिए कि तैरना नहीं सीखने के बावजूद जानवर को यह विश्वास  होता है कि वह तौर कर पार हो जायेगा, इस लिए वह पार हो जाता है। दूसरी ओर, व्यक्ति को अपने तैर कर पार होने पर विश्वास  नहीं होता, इस लिए वह डूब जाता है। विश्वास  एक चयन भी है और उपहार भी, यदि आपको यह उपहार मिला है तो अति उत्तम, यदि उपहार नहीं मिला है तो आप इसका चयन कर सकते हैं और चयन करते ही यह उपहार आपको मिल जायेगा, आप किनारे पर खड़े  रहकर तैरना कभी नहीं सीख सकते।  विश्वास  को सम्बल बनायें और बस छलांग लगा दें।
अब प्रश्न उठता है कि आप अपने विश्वास  की शक्ति को कैसे विकसित करें, इसके लिए आप निम्न बिदुंओं पर ध्यान देते रहें। कुछ भी असंभव नहीं है, यह मानकर किसी कार्य को प्रारंभ करें। केवल सफलता के बारे में सोचें, असफलता के बारे में नहीं।
जब आप कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हों, तो सोचें कि आप सर्वोत्तम हैं। आप हमेशा इस सोच के साथ अपने कार्य को करें कि मैं सफल होऊंगा। बड़े लक्ष्य में विश्वास करें, क्यों कि आपकी सफलता का आकार आपके विश्वास के आकार पर निर्भर करेगा।
अंतत: याद रखें कि जितने लोग भी सफल हुए हैं वे प्राय: साधारण व्यक्ति ही थे, उन्होंने स्पयं पर विश्वास  किया, आप भी स्वयं पर विश्वास कर सफल हो सकते हैं। यह दुनिया विश्वास  करने वाले लोगों की है और केवल विश्वास  करने वाले लोग ही सच्चे मायने में अर्जक होते हैं, सफल होते हैं।  लेखक ए.के. मिश्रा, चाणक्य आईएएस एकेडमी के निदेशक हैं।

 

Posted by: vijayendra pandey On: August 29, 2011
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