कांग्रेस के लिए कर्नाटक में जीत की खुशी जल्द ही काफुर हो सकती है। कोयले की कालिख झेल रहे कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचे हैं।

 कांग्रेस के लिए कर्नाटक में जीत की खुशी जल्द ही काफुर हो सकती है। कोयले की कालिख झेल रहे कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचे हैं।

 

नई दिल्ली। कांग्रेस के लिए कर्नाटक में जीत की खुशी जल्द ही काफुर हो सकती है। कोयले की कालिख झेल रहे कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि वह अपनी कुर्सी बचाने के लिए प्रधानमंत्री को मना पाते हैं या नहीं। शाम तक उनके भाग्य पर फैसला हो सकता है।

कोयला घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणियों ने कांग्रेस को असहज कर दिया है। इधर कर्नाटक की सत्ता भले ही कांग्रेस के हाथ आने से पार्टी को कुछ राहत मिली है लेकिन पार्टी के लिए असली संकट का समय आ गया है।

 

कोयला घोटाले से जुड़े कानून मंत्री अश्विनी कुमार और घूसकांड में घिरे रेल मंत्री पवन कुमार बंसल दोनों की विदाई संप्रग सरकार के संभावित मंत्रिमंडल विस्तार के साथ करने की तैयारी में है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने साफ कहा कि कांग्रेस कोई काम जल्दबाजी में नहीं करती। सब काम कदम-दर-कदम होंगे।

 

सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक का मुख्यमंत्री तय होते ही अश्विनी कुमार की कानून मंत्री पद से विदाई तय है। अश्विनी को कोई नया मंत्रालय दिया जायेगा या नहीं अभी यह तय नहीं है। वैसे अश्रि्वनी कुमार की ढाल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार बने रहे हैं, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की नाराजगी के बाद अब उन्हें बचाना लगभग नामुमकिन हो गया है। घूस कांड में पवन बंसल के प्रति भी लगातार हो रहे रहस्योद्घाटनों के बाद उनके प्रति नेतृत्व की सहानुभूति नहीं बची है।

बंसल के मसले पर पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने माना भी कि 'पहले दिन जब सूचना आई तो किसी को यकीन नहीं था। अब जांच के साथ वह हालात नहीं रहे।' कानून मंत्री अश्विनी कुमार पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों और बंसल के खिलाफ नित हो रहे खुलासों के बाद भी फैसले में हो रही देरी पर उन्होंने कहा कि 'फैसला सिर्फ पार्टी को नहीं करना है। केंद्र में एक सरकार है।'

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस बात से भी नाराज है कि इशारा होने के बाद भी अपनी तरफ से कोई इस्तीफे की पेशकश नहीं कर रहा है। उल्टे बचाव में आ रहे तर्क अब नेतृत्व को बेहद असहज कर रहे हैं। मगर शुरुआत में जो फैसला लेने में देरी हुई, उसे अब विपक्ष के दबाव में पार्टी करते नहीं दिखना चाहती। कांग्रेस नेतृत्व एक मुद्दे पर बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि अब देरी हुई तो कर्नाटक की जीत का रंग फीका हो सकता है। इसलिए, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी पार्टी तेजी से काम चाहती है। कांग्रेस संगठन में फेरबदल, कर्नाटक में मुख्यमंत्री का चयन करने के साथ ही मनमोहन सरकार के मंत्रिमंडल में भी फेरबदल के प्रबल संकेत हैं। इस प्रक्रिया के दौरान ही पवन बंसल और अश्विनी कुमार की विदाई हो जाएगी। पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों ने कहा कि आने वाले हफ्तों में कई बड़े कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल, पार्टी कर्नाटक में मुख्यमंत्री का नाम तय करने में सबसे ज्यादा माथापच्ची कर रही है और वही पहली वरीयता भी है।


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