जन्म-राशि और व्यक्तित्व ---वृश्चिक-राशि

जन्म-राशि और व्यक्तित्व ---वृश्चिक-राशि

 जन्म-राशि और व्यक्तित्व (वृश्चिक-राशि)..

 इस राशि का अधिपति मंगल ग्रह है. इस राशि का तत्व जल तथा स्वरुप स्थिर है. उत्तर दिशा का स्वामी है इसकी प्रकृति व स्वभाव सौम्य कफ प्रकृति है. मंगल तेजोमय व अग्नि तत्व प्रधान होता है. इस राशि के लोग मझोले कद के गठे हुए शरीर तथा खिलते हुए गौर रंग के होते है. इनके बाल सघन होते है. इनके नेत्र चमकदार होते है.


इनका प्राकृतिक स्वभाव दम्भी, हठी, प्रतिज्ञ व स्पष्टवादी पुरुषों में आता है. इन्हें क्रोध जल्दी आता है. जरा सी भी विपरीत बात सहन नहीं कर सकते है. ये बिना परवाह किये आगे पीछे टकरा जाते है. लेकिन अपनी घबराहट प्रकट नहीं होने देते. क्रोध में अत्यधिक बोल जाते है.परीस्थितियों की मार से झुकने वाले नहीं होते है. चुपचाप अबाध गति से आगे बड़ने वाले व्यक्ति होते है. इच्छा शक्ति बहुत ही मजबूत होती है. वृश्चिक का चिन्ह डंकदार बिच्छू है, बिच्छू के लगभग 32 नेत्र शरीर के भिन्न भिन्न अंगों पर होते है. तो इस राशि वाले लोग सहस्त्र आंखों से किसी वस्तु का अवलोकन करते है. विषय की बारीकी को सहज ही पकड़ कर अपने काम की वस्तु उसमें से ग्रहण कर लेते है.

 

बिच्छू तेज स्वभाव का व डंक मारने वाला प्राणी होता है. सदैव इस राशि वाले व्यक्ति भी बदला लेने वाले, फ़ौरन कार्य करने वाले व क्रियाशील होते है. यह लोग दूसरों की असावधानी का शीघ्र फायदा उठाने में तत्पर रहते है. बिच्छू के आगे का हिस्सा मृदु तथा एक प्रकार से अप्रभावशाली होता है, विष इनके पीछे होता है. अतः इस राशि वालों का पूर्वार्ध साधारण तथा जीवन के अंतिम दिनों में भरे पूरे सर्व प्रभुत्व संपन्न बनते है.

यह लोग रात्री में अधिक बलशाली हो जाते है. क्रोधाग्नि भीतर ही भीतर रहती है. बाहर से यह शांत लगते है. पर प्रतिहिंसा की भावना अपने अंदर रहती है. प्रतिद्वंदी को निर्दयता से हानि पहुंचाने में समर्थ होते है. यह क्रोध आने पर क्षमा करना नहीं जानते है. यदि इन्हें झगड़ालू व जहरीला इंसान कह दिया जाय तो अतिशयोक्ति न होगी.

यह अपने मित्र सहयोगियों से अपने महत्वपूर्ण कार्य करवाना अच्छी तरह से जानते है. मित्रों का दायरा अत्यधिक होता है. समय समय पर वह लोग इनको मदद भी करते है. नाम और शौहरत का और दिखावे का इन्हें अत्यधिक लालच होता है. मित्रों पर जी जान से लुटाते है. अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्य करके सफलता अर्जित करते है.इन्हें विभिन्न विषयों का ज्ञान भी रहता है.

धर्म के प्रति मन में श्रद्धा रहती है. धार्मिक क्रिया कलापों में हिस्सा लेते है. कभी कभी ढोंग का भी प्रदर्शन करते है.

यह अपने परिश्रम के द्वारा सफलता अर्जित करते है.

विद्वान के रूप में इनकी छवि बनी रहती है. कुल या परिवार में श्रेष्ठ रहते है. अपने बंधू वर्गीय में सम्मानीय होते है.

यह व्यक्ति संग्रह करने में होशियार होते है. यह व्यक्ति डिक्टेटर, जासूस, केमिष्ट, रसायन, के कार्य सर्जन दन्त विशेषज्ञ, पुलिस अधिकारी, इंजीनियर, खनिज विशेषज्ञ, ठग, आलोचक होते है. राजनीति में यह बड चड कर हिस्सा लेते है. तथा सफलता भी पा जाते है. जान पहचान का क्षेत्र काफी बड़ा होता है. वृश्चिक राशि में चन्द्रमा नीच का होता है. इनमे कोमलता होने का प्रश्न ही नहीं उठता है.

आप स्वयं अपने भाग्य के निर्माता होते है. धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति की तीव्र इच्छा होती है. वह आप प्राप्त कर वैभवशाली जीवन व्यतीत भी कर सकते है.

प्रेम पात्र के लिए सर्वस्व न्योछावर कर सकते है. स्त्रियाँ चाहे तो प्रेम का प्रदर्शन करके आपको उल्लू भी बना सकती है. यदि आप महिला है तो, आप औरो की अपेक्षा अधिक चतुर चालाक स्वार्थी जबरदस्त भौतिकवादी है और परम में सफल होती है.

इनको प्रायः गले, छाती, गर्मी, वायु तथा बवासीर जैसे रोगों की संभावना रहती है.

भाग्य उदय वर्ष:- 28वां वर्ष, सफलता का वर्ष होता है. वैसे इनके जीवन में 35, 44, 52, 53, 71, एवं 80वां वर्ष विशेष प्रभावशाली होता है.

मित्र राशियां:- कर्क एवं मीन,

शत्रु राशियां:- मेष, मिथुन, सिंह, धनु,

अनुकूल रत्न:- मूंगा, मोती,

अनुकूल रंग:- लाल, पीला,

शुभ दिन:- मंगलवार, गुरूवार,

अनुकूल देवता:- शिवजी, भैरव जी, श्री हनुमान जी,

व्रत उपवास:- मंगलवार,

अनुकूल तारीखें:- 9, 18, 27,

नाम अक्षर:- तो, ना, नी, नु, ने, नो, या, यी, यु,

व्यक्तित्व:- कानूनबाज, गणक, समीक्षक,

सकारात्मक तथ्य:- बुद्धिमान, निडर, प्रकृति प्रेमी,

नकारात्मक तथ्य:- स्वार्थी, ढोंगी, क्रोधी,

आप अपने जीवन में शुभ फलों को प्राप्त करने में मन की स्थिति को पूर्णरूपेण रखने में धन, ऐश्वर्य सुख में बढोत्तरी चाहते है तो, मूंगा रत्न धारण करके लाभ उठा सकते है.

शुभमस्तु !!


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