नेक अमल की शर्तें

 अल्लाह तआला बन्दे के अमल को कब स्वीकार करता है? अमल के नेक होने और अल्लाह के यहाँ मक्बू़ल (स्वीकृत) होने की क्या शर्तें हैं?

हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति अल्लाह के लिए योग्य है।

अल्लाह की प्रशंसा और स्तुति के बादः कोई भी अमल उस समय तक इबादत नहीं होती है जब तक कि उस में दो चीज़ें पूर्णतः पायी जायें और वो दोनों चीज़ें : संपूर्ण महब्बत के साथ संपूर्ण दीनता और नम्रता हैं। अल्लाह तआला का फरमान हैः "और ईमान वाले अल्लाह की महब्बत में बहुत सख्त होते हैं।" (सूरतुल बक़राः 165)

तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : "और वो लोग जो अपने रब (पालनहार) के भय से डरते हैं।" (सूरतुल मोमिनूनः 57)

तथा इन दोनों बातों को अल्लाह तआला ने अपने इस कथन में एक साथ बयान किया है : "यह नेक लोग नेक अमल की तरफ जल्दी दौड़ते थे, और हमें रग़बत (इच्छा) और डर के साथ पुकारते थे, और हमारे सामने विनम्र (आजिज़ी से) रहते थे।" (सूरतुल अम्बिया :90)

जब यह ज्ञात हो गया तो यह भी मालूम होना चाहिए कि इबादत केवल मुवह्हिद (एकेश्वरवादी ) मुसलमान की ही स्वीकार होती है, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान है : "और उन्हों ने जो-जो अमल किये थे हम ने उन की तरफ बढ़ कर उन्हें कणों (ज़र्रों) की तरह तहस-नहस कर दिया।" (सूरतुल फ़ुरक़ान :23)

और सहीह मुस्लिम (हदीस संख्या :214) में आईशा रज़ियल्लाहु अन्हा से विर्णत है, वह कहती हैं : मैं ने कहा कि अल्लाह के पैग़म्बर ! (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अब्दुल्लाह बिन जुदआन जाहिलियत (अज्ञानता) के समयकाल में रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करता था और मिस्कीनों को खाना खिलाता था, तो क्या यह चीज़ उसे लाभ पहुँचाये गी? आप सल्लल्लाहु


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