एक जनवरी 2016 से 30 अप्रैल तक होने वाले अर्धकुंभ में प्रमुख शाही स्नान होंगे।

एक जनवरी 2016 से 30 अप्रैल तक होने वाले अर्धकुंभ में प्रमुख शाही स्नान होंगे।

देहरादून। राज्य सरकार वर्ष 2016 में प्रस्तावित अर्धकुंभ की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए कुंभ क्षेत्र के तहत आने वाले नगर निकायों व हरिद्वार विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी बढ़ाई जा रही है। मेला क्षेत्र में नगर निगम के तहत आने वाले क्षेत्रों में साफ-सफाई, दवा व चूने के छिड़काव के साथ पार्किंग की जिम्मेदारी का निर्वहन नगर निगम करेगा।

पूर्व में पार्किंग के कार्य पर्यटन व सिंचाई विभाग करवा रहे थे। हाईमास्ट लाइट लगवाने व उसके मेंटीनेंस के काम हरिद्वार में नगर निगम व ऋषिकेश में नगर पालिका द्वारा किए जाएंगे। बाहरी क्षेत्रों में यह जिम्मेदारी हरिद्वार विकास प्राधिकरण निभाएगा।

अर्धकुंभ 2016 की तैयारियों की समीक्षा बैठक में शहरी विकास मंत्री प्रीतम सिंह पंवार ने इस बाबत अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अर्धकुंभ में एक हजार 37 करोड़ के कार्य प्रस्तावित हैं, जो 36 विभागों द्वारा किए जाएंगे। यात्रियों की सुविधा को पार्किंग व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाना है। उन्होंने डीएम हरिद्वार को अर्धकुंभ के सफल संचालन के लिए मेला अधिष्ठान का ढांचा व प्रारूप बनाने के निर्देश दिए। अधिष्ठान में नई नियुक्ति न होने की स्थिति में कार्मिक प्रतिनियुक्ति पर लेने को कहा।

उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में 36 विभाग स्थायी व अस्थायी प्रकृति के कार्य करेंगे। इसके लिए सभी विभाग एक सप्ताह के भीतर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करें। एक जनवरी 2016 से 30 अप्रैल तक होने वाले अर्धकुंभ में प्रमुख शाही स्नान होंगे। एक माह के भीतर सभी विभागों की टीम मेला क्षेत्र में उतारनी होगी। साथ ही, नगर निगम के तहत आने वाले सभी चौराहों का सौंदर्यीकरण व रखरखाव नगर निगम द्वारा किया जाएगा। उन्होंने जिलाधिकारी को शीर्ष प्राथमिकता पर अधिक समय लगने वाले कार्यो को चिन्हित कर सोमवार तक उनकी सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, ताकि उन्हें मुख्यमंत्री की बैठक में रखा जा सके। उन्होंने कहा कि आवंटित धन का प्रयोग सही दिशा व स्थायी प्रकृति के कार्य में हो, ताकि छह वर्ष बाद पूर्ण कुंभ में भी उसका लाभ मिल सके। मेला क्षेत्र के तहत रिक्त पड़ी भूमि पर पर्यटन विभाग रिसार्ट बनाए, जो अर्धकुंभ के दौरान वीआइपी के काम आ सके। मेले के बाद पर्यटन विभाग इन्हें पीपीपी मोड पर चलाएगा। पीएलए में पड़े पिछले कुंभ का 60 करोड़ का उपयोग किया जाए। उन्होंने 1938 में बने मेला एक्ट में कुछ संशोधन व परिवर्तन करने के लिए प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी दिए।

जिलाधिकारी डी. सेंथिल पांडियन ने इन कार्यो के लिए मेला अधिकारी के कर्तव्य व वित्तीय अधिकार तय करने, भुगतान के समय परीक्षण के लिए एक टेक्निकल सेल गठित करने के सुझाव दिए।


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बैंसला जयपुर में, ठोस हल निकलने की उम्मीद

04/01/2011 18:12
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